सफर अंजान है और रास्ते उलझे हुए
भटक जाते सभी अक्सर यहाँ चलते हुए
भटक जाते सभी अक्सर यहाँ चलते हुए
उजाले बेचने का कर रहे व्यापार जो
जमाने से अँधेरे में हैं खुद बैठे हुए
जमाने से अँधेरे में हैं खुद बैठे हुए
कोई तो फ़ायदा उसको दिखा होगा जरूर
नहीं तो कौन मिलता है यहाँ हँसते हुए
नहीं तो कौन मिलता है यहाँ हँसते हुए
नहीं फुर्सत उठाने से है उँगली और पे
बड़ी मुद्दत हुई , खुद को उन्हें देखे हुए
बड़ी मुद्दत हुई , खुद को उन्हें देखे हुए
हवाओं की सवारी का जो दम भरते रहे
उन्हें देखा जमीं पे मुँह के बल गिरते हुए
उन्हें देखा जमीं पे मुँह के बल गिरते हुए
लिबासों पर निछावर उम्र सारी कर दिया
मगर लौटोगे घर कोरा कफ़न पहने हुए
मगर लौटोगे घर कोरा कफ़न पहने हुए
दिखाएगा भला तस्वीर सच्ची कौन अब
बदलते दौर में सब आईने झूठे हुए
बदलते दौर में सब आईने झूठे हुए
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